कांग्रेसी राजनीति
राजनीति जब पांचाली सी / ऊरूभंग के सपने बोती है
हतगौरव से इन भीमों के / गदा ज्ञान पर रोती है
फिर गांधारी तम उद्घाटन / फिर शकुनी उग आते हैं
विवश हुए हैं सहस्त्रनेत्र / जन्मांध समर रच जाते हैं
श्याम सो गए एकार्णव में / धर्म अब क्रंदन करता है
गणपति तुम ही शंख फूंक दो / कण कण वंदन करता है