नमन गजानन ओ लम्बोदर!
नमन वक्रतुण्ड गणपति हे!
कार्तिकेय के, व्यास के भ्राता
उमा के प्रिय बालक हे!
भू-नभ, तारे उदार समाये
लम्बोदर तू अपरम्पार
चट गोबर के बालक बनते
ऋजुता की जय बारम्बार
लम्बोदर हो, वक्रतुण्ड हो
भोजन मोदक, क्या कहने
पाश, परशुधर , द्विज विराट हो
मूषक वाहन, क्या कहने