लोग चाँद को देखेंगे / वो घबरा के छिप जायेगा
किसने सोचा था एक दिन / ऐसा बहसी दौर आएगा।
हर हवा के झोंके में / होंगी जब साज़िशें
फूल अपने खिलने पर / शर्मिंदा हो जायेगा।
कर्णधारों के हाथ में चक्रव्यूह है / देखना
फिर कोई अभिमन्यु मारा जायेगा।
गिरेगा सभी कुछ / आदमी के मूल्य की तरह
धर्म की घुड़दौड़ होगी / मर्म रौंदा जायेगा।
छाया तक छीन लेंगे वो / मुँह खोलने पर
कलियुग में सूर्य भी / आदमखोर हो जायेगा।