शरद ऋतु


(वक्रतुण्डोपनिषद) 


पूर्णिमा बन शरद लौटा
तीर्थ गंगा डुबकियां
जलवायु ऋतु की ये बयारें
पर्व मेंले खिड़कियां
हरियाल है स्तोत्र मां के
सृजन के आह्वान हैं
शक्ति बन जाये विधायक
लोक संचित ज्ञान हैं
तुम्हीं पूजक तुम्हीं पूजा
लौ तुम्हीं हो तम तुम्हीं
स्नान तुम हो तुम्हीं नद हो
कर्म तुम हो फल तुम्हीं ।