मैं और तुम

मेरे पानी से 
तुमने अपने
खेत सींचे
और मेरी आग
में रोटियां सेकीं
मेरी हवा से तुम 
सांस लेते रहे
और मेरी
मिट्टी से 
गृहस्थी बनाई
फिर भी दोस्ती
का व्यवहार 
नहीं किया
दुश्मनी निभाई।
मैं कहीं
विद्रोह न कर बैठूं 
इस डर से 
आकाश 
मेरे नाम कर दिया
कि लो सब कुछ
तुम्हारा।
हां, मुझे
तो सब ही चाहिए
सारा का सारा
अस्तित्व चाहिए
पानी को पानी की
आग को आग की
हवा को हवा की
मिट्टी को
मिट्टी की दोस्ती
और 
आकाश तो
हमारा साझा है ही न!