प्यारे लोग


मेरे प्यारे देश में
मेरे प्यारे देश के लोग
बहुत अच्छे हैं
बहुत सरल और सच्चे हैं
गांधी जी के तीन बन्दर
बसते हैं हरेक 
नागरिक के अन्दर 
अतएव,
वे बुरा तो देखते हैं
वे बुरा तो सुनते हैं
वे बुरा तो कहते हैं
लेकिन,
अगले चुनाव आने तक
सब गुड़ गोबर कर देते हैं
गवाही में, 
प्रधानमंत्री जी 
न कहें तो न कहें
गृहमंत्री जी कह देते हैं
बाकी मंत्रियों को
गुप्त मंत्रणा के सिवाय
कुछ कहने की 
जरूरत ही नहीं।
मेरे प्यारे देश में 
मेरे प्यारे देश के लोग
बहुत-बहुत समझदार हैं
व जानते हैं
नेता लोग हैं
मंत्री लोग हैं
अबका चुनाव जीते तो
अगला चुनाव भी तो 
जीतना है, सो
रूपये पेड़ पर तो 
उगते नहीं
घोटालों की जरूरत 
पड़ती ही है
सीधी क्या करेगी
जो टेढ़ी ऊँगली करती है
विपक्षी के दिल में भी तो
यही नीति पलती है
अस्तु!
विपक्षी पर भी, अब
ज्यादा विश्वास नहीं करते
स्वयं को छलने में ही
अपना सुख समझते।
इन साठ-पैंसठ सालों में
उनका यह ज्ञान 
पुख्ता हो चुका है-
कि सभी 
एक ही थाली के
संकर नस्ली बैंगन हैं
न कोई गांधी!
न कोई अम्बेडकर!
न कोई जयप्रकाश!
न कोई अन्ना हजारे!
न कोई रामदेव!
हर पांच साल में 
वोट देना है
'ऊँट बिलाऊ ले गया तो
हाँ जी-हाँ जी कहना है'
बस,
मेरे प्यारे देश में
मेरे प्यारे देश के लोग
निरंतर आत्मसात कर रहे हैं
ठग-ठगनियों का ठगयोग...!