सृजन स्पास्टिक सोसाइटी सितंबर 2006 से विकलांगता के क्षेत्र में कार्य रही है, अभी तक 95 विभिन्न प्रकार के विकलांग जन संस्था में पंजीकृत हो चुके हैं। जिनमें से 31 महिलायें/बलिकायें तथा 64 बालक/पुरूष हंै। इन 95 विकलांगों में से 9 लोग बालिग हंै तथा अन्य छोटे नाबलिग हैं। संस्था में चाइल्ड थिरेपिस्ट नंदन काण्डपाल हैं । प्रधानाचार्य तथा विशिष्ट शिक्षिका श्रद्धा काण्डपाल हैं जो इस क्षेत्र में वर्षो से जुड़ी हैं। संस्था अपना कार्य बालक के जन्म से ही शुरू कर देती है। जन्म समय पर चिकित्सक द्वारा 'अपगार स्कोर' निकाला जाता है। जिससे बालक के शारीरिक विकलांगता का आकलन किया जा सकता है। संथा के वर्तमान कार्य छोटे बच्चों में रूकी हुई विकलांगता की पहचान कर वर्गीकरण करना, उनमें अतिशीघ्र हस्तक्षेप कर विशेष शिक्षा को लागू करना ताकि शिशु अपने रोजमर्रा के कार्य सीख सके। अलग-अलग विकासीय बिलंबता को विकासीय थिरेपी देकर ठीक करना, शरीर सौष्ठव ठीक करने के लिए विभिन्न प्रकार की कुर्सियों तथा फ्रेमों का इस्तेमाल करना, शारीरिक विकलांगता वाले बच्चों को आपरेशन के लिए संदर्भित करना। अभी तक 9 विकलांग जो अपने विलंबित के तुरंत बाद आ गये थे, सर्जरी या अतिशीघ्र हस्तक्षेप से ठीक हो गये हैं। कुमांऊ आयुक्त श्री एस. राजू तथा अपर निदेशक समाज कल्याण भी इस संस्था का इन्स्पेक्शन कर चुके हैं। स्वावलंबित (आटोस्टीक) विकलांगता के लिए श्री पंकज तिवारी विशिष्ट शिक्षक दिल्ली से माह में दो बार यहाँ आते हैं। संस्थापक श्री जे. सी. गुर्रानी जी ने बताया कि कुमांऊ मुंडल में लगभग 95 हजार विकलांग हैं जिनमें 56 प्रतिशत 12 वर्ष से छोटी उम्र के हैं, इनमें से लगभग आधा प्रतिशत बच्चे स्कूल जा पाते हंै जो कि प्राइमरी पढ़ने के बाद अपनी विकलांगता के कारण स्कूल नहीं जाते। पूरे मंडल में अभी 10 हजार विशिष्ट शिक्षक, 1000 फिजियोथिरेपिस्ट, 100 चाइल्ड थिरेपिस्ट तथा 50 मनावैज्ञानिकों की जरूरत है जिससे विकलांग एक ठीक जीवन यापन कर सकंे, सृजन स्पास्टिक सोसायटी को कहीं से भी वित्तीय सहायता प्राप्त नहीं हुई है अतः बच्चों की संख्या देखते हुये कार्य करना मुश्किल सा हो गया है। सरकारी कार्यक्रम में भागीदारी करते हुये विकलांगों की पहचान करने के लिये संस्था ने 204 आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों को प्रशिक्षण दिया है।
सृजन स्पास्टिक सोसाइटी