गलागोन्द हिसर का
टुपकणा ओंठू मा
कन-कना रिबड़ैनि,
आंख्यौं का बोण मा
बांजैऽसिन्दूकड़ि,
लुंगड़ा बुरांस कू
डांडी बिवौण्या च
बन्दड़ा बसन्त वू
अछलेन्दि धार मा,
बादळ उदास छैं
खुदेन्दि ब्योलि कू
हरच्यूं रुमाल छैं
रुकमी मेरि तू.....
बसंत
गलागोन्द हिसर का
टुपकणा ओंठू मा
कन-कना रिबड़ैनि,
आंख्यौं का बोण मा
बांजैऽसिन्दूकड़ि,
लुंगड़ा बुरांस कू
डांडी बिवौण्या च
बन्दड़ा बसन्त वू
अछलेन्दि धार मा,
बादळ उदास छैं
खुदेन्दि ब्योलि कू
हरच्यूं रुमाल छैं
रुकमी मेरि तू.....