उत्तराखंड  और टिमुर
 


वनस्पति शास्त्रीय नाम - Zanthoxylum armatum

सामन्य अंग्रेजी नाम - Prickly Ash, Sichuan pepper or Toothache Tree

संस्कृत नाम -आयुर्वेद नाम -तेजोह्वा , तुम्बुरु:

हिंदी नाम -टिमुर , तेजबल 

नेपाली नाम - टिमुर

उत्तराखंडी नाम -टिमुर

 टिमुर के की कंटीली झाड़ियां उत्तराखंड में 1000 मीटर से लेकर 2250  मीटर की ऊंचाइयों पर मिलती हैं।  

             जन्मस्थल संबंधी सूचना -
  टिमुर का जन्मस्थल हिमालय ही है .

संदर्भ पुस्तकों में वर्णन - उत्तराखंड का टिमुर ashoka काल में भी प्रसिद्ध था और पाणनि साहित्य में लिखा है कि उत्तराखंड से अशोक व् अन्य राजाओं हेतु टिमुर निर्यात होता था।  (डा शिव प्रसाद डबराल , उखण्ड का इतिहास -2 )

 डा कला लिखते हैं कि सदियों से भोटिया समाज टिमुर ( Xanthoxylum की चार प्रजाति ) उपयोग विनियम माध्यम (Exchange Medium )  करते हैं।  

 भावप्रकास निघण्टु (डा डी  एस पांडे संपादित व हिंदी टीका 1998  ) के 113 -115 श्लोक में टिमुर  पर प्रकाश डाला गया है। नेपाली निघण्टु में भी टिमुर पर प्रकाश डाला गया है। डा अनघा रानाडे व आचार्य सूचित करते हैं कि टिमुर का उल्लेख धनवंतरी निघण्टु (ग्यारवीं सदी के लगभग ) में भी हुआ है । मदनपाल निघण्टु  में टिमुर  उल्लेख है।
 

   धार्मिक उपयोग

 नरसिंग आदि ki  सोटी , यज्ञोपवीत में आवश्यक लाठी के रूप में प्रयोग होता है। साधू टिमुर की लाठी को पवित्र मानते हैं

   दांतुन

 टिमुर से दांतुन किया जाता है। चार धामों में अभी भी भोटिया टिमुर के दांतुन बेचते हैं (डा सी पी काला )

 

    औषधीय उपयोग
टिमुर के विभिन्न भाग पेट दर्द , एसिडिटी , अल्सर , आंत की कृमि , त्वचा रोग , दांत दर्द निवारण हेतु प्रयोग करते हैं।  जाड़ों में भोटिया समाज बीजों को भूनकर चबाते हैं जिससे ठंड का असर न पड़े। आयुर्वेद में कफ व वात निर्मूल हेतु उपयोग होता है।


  मसाले व भोजन में उपयोग

  टिमुर का सबसे अधिक उपयोग भोटिया समाज करता आया है।  भोटिया टिमुर को सूप में उपयोग तो करते ही हैं साथ ही बीजों व बीजों के भूसे का मसाले में उपयोग होता है। भोटिया डुंगचा नामक चटनी बनाने हेतू  भी टिमुर का यपयोग करते हैं।